स्तोत्र 24
24 1 पृथ्वी तथा पृथ्वी में मगन हर एक वस्तु पर याहवेह का स्वामित्व है, संसार और वे सभी, जो इसमें निवास करते हैं, उन्हीं के हैं; 2 क्योंकि उन्हीं ने महासागर पर इसकी नींव रखी तथा जलप्रवाहों पर इसे स्थिर किया. 3 कौन चढ़ सकेगा याहवेह के पर्वत पर? कौन खड़ा रह सकेगा उनके पवित्र स्थान में? 4 वही, जिसके हाथ निर्मल और हृदय शुद्ध है, जो व्यर्थ बात को स्थान नहीं देता, जो झूठी प्रतिज्ञा नहीं करता. 5 उस पर याहवेह की आशीष स्थायी रहेगी. परमेश्वर, उसका छुड़ानेवाला, उसे धर्मी घोषित करेंगे. 6 यही है वह पीढ़ी, जो याहवेह की कृपादृष्टि खोजने वाले है, जो आपके दर्शन के खोजने वाला हैं, हां याकोब के वंशज. 7 प्रवेश द्वारों, ऊंचा करो अपने मस्तक; प्राचीन किवाड़ों, विस्तृत हो जाओ, कि महातेजस्वी महाराज प्रवेश कर सकें. 8 यह महातेजस्वी राजा हैं कौन? याहवेह, तेजी और समर्थ, याहवेह, युद्ध में पराक्रमी. 9 प्रवेश-द्वारो, ऊंचा करो अपने मस्तक; प्राचीन किवाड़ों, विस्तृत हो जाओ, कि महातेजस्वी महाराज प्रवेश कर सकें. 10 यह महातेजस्वी राजा कौन है? सर्वशक्तिमान याहवेह! वही है महातेजस्वी महाराजा.